हेल्पलाइन: कोरोना संक्रमण के बारे में जानें, इन बीमारियों में भी फूलती है सांस
कोरोना ने सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है। सांस की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को कोरोना संक्रमित समझा जा रहा है। यह सही नहीं है। डॉक्टरों के मुताबिक सांस फूलना दूसरी बीमारियों के लक्षण हो सकता है। जरूरी नहीं कि सांस फूलने से परेशान हर मरीज की जांच की जाए।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी-चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ.अश्वनी मिश्रा ने बताया कि सांस फूलना एक लक्षण है। यह कई बीमारियों में होता है। आमतौर पर निमोनिया के मरीजों की सांस बहुत फूलती है। निमोनिया में ज्यादातर मरीज बच्चे होते हैं। व्यस्कों में भी निमोनिया पाया जाता है। टीबी, अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों में भी सांस फूलती है। सांस फूलने का कतई अर्थ या नहीं है कि मरीज कोरोना से संक्रमित है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति से संपर्क से ही हो सकता है।
दिल, किडनी और लिवर के बीमारों की भी फूलती है सांस
चेस्ट फिजिशियन डॉ. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि सांस फूलना बेहद आम है। दिल व लिवर के मरीजों की सांस फूलने लगती है। रक्तचाप बढ़ने पर भी कुछ लोगों में सांस फूलने लगती है। किडनी के मरीजों की सांस फूलती है। एलर्जी भी श्वसन तंत्र का असर करती है। इससे सांस फूलती है। इन मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है। फेफड़े सही से काम नहीं करते है।
संक्रमित से संपर्क से बचें
चेस्ट फिजीशियन डॉ. नजीबुल्लाह खान ने बताया संक्रमित व्यक्ति से संपर्क नहीं होने पर कोरोना होने की आशंका नहीं होती है। कोरोना संक्रमण में पहले बुखार होता है उसके बाद सांस लेने में तकलीफ , गले में दर्द और खांसी आती है। संक्रमण बढ़ने पर सांस फूलती है। सिर्फ सांस फूलना कत्तई कोरोना का लक्षण नहीं है। यह किसी दूसरी बीमारी के कारण हो सकता है। एहतियातन सांस फूलने की बीमारी वाले मरीज को कोरोना की जांच करानी चाहिए।
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